बस की दुश्वार है
बस की दुश्वार है हर काम का आसान होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्सान होना।
ये दीवानगी-ए-शौक के हरदम मुझको
आप ही जाना उधर आप ही हैरां होना।
की मेरे कत्ल के बाद उसने जफा से तौबा
हाय, उस जुद-पशेमां का पशेमां होना।
इश्रते कत्लगाहे अहले तमन्ना मत पूछ
ईद नज्जार है शमशीर का उर्या होना।
अफसोस उस कप्डेकी किस्मत 'गालिब'
जिसकी किस्मत हो आशिक का गरेबा होना।
- Mirza Ghalib
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्सान होना।
ये दीवानगी-ए-शौक के हरदम मुझको
आप ही जाना उधर आप ही हैरां होना।
की मेरे कत्ल के बाद उसने जफा से तौबा
हाय, उस जुद-पशेमां का पशेमां होना।
इश्रते कत्लगाहे अहले तमन्ना मत पूछ
ईद नज्जार है शमशीर का उर्या होना।
अफसोस उस कप्डेकी किस्मत 'गालिब'
जिसकी किस्मत हो आशिक का गरेबा होना।
- Mirza Ghalib
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