Judayi

जुदाई यार ने मांगा तो में फिर करता क्या?
अगर मेरे साथ खुश नही, तो बोल दिया होता?

में पागल था जो उसको हमेशा सच समझ बैठा,
बिना जाने तेरी मर्ज़ी तुझे अपना समझ बैठा।

कभी सोचा नही था किसीको इतना चाहेंगे,
तेरी खुशियों के लिए ही तुझसे दूर जायेंगे।

तेरा बिना भी हसे और मुस्कुराए कैसे,
झूठे वादों को सच समझ पाए कैसे।

अब जो बात हो गई है, उस पर टिक जाना है,
खुदा की मर्जी समझके आगे बढ़ ही जाना है।

-सैफुल्लाह खान 'खालिद'

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