Feriha

सारी बाते भूल जाना फेरिहा,
था वो एक अफसाना फेरीहा।

छेड़ दे अगर कोई मेरी बात,
मंद मंद मुस्कुराना फेरिहा।

मेरी जो नज्में तुम्हारे नाम है,
उन्हे मत गुनगुनाना फेरिहा।

पेशकश में गुलाब कर लेना कबूल,
अब सितारे न मंगवाना फेरिहा।

कुछ वीराने तसव्वुर में रहेंगे,
जब नई दुनिया बनाना फेरिहा।

सोचता हूं मुझे मिल जाए खुशी,
बस अब मेरा बन जाना फेरिहा।
-सैफुल्लाह खान खालिद

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