Jo hoga dekha jayega
कुछ लोग तुम्हे समझाएंगे,
वो तुम को खौफ दिलाएंगे
तुम्हारा सब कुछ खो सकता हे,
अड़चन है इतनी, कुछ हो सकता हे,
कुछ तो कभी भी हो सकता है
वक्त तो सूरज को डुबो सकता है,
इंकलाब आयेगा ये बात बतलाओ,
सोती आंखों को फिर से जगाओ,
तुम अपनी करनी कर गुजरो,
ये वक्त नहीं फिर आयेगा
इंकलाब को करो जिंदा
जो होगा देखा जाएगा
KHAN SAIFULLAHKHALID
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