सब माया है By इब्ने इंशा

1. सब माया है सब ढलती-फिरती छाया है
इस इश्क़ में हमने जो खोया या पाया है
जो तुमने कहा है 'फ़ैज़' ने जो फ़रमाया है
सब माया है

2. हाँ गाहे-बगाहे दीद की दौलत हाथ आई
या एक वो लज़्ज़त नाम है जिसका रुस्वाई
बस इसके सिवा तो जो भी सवाब कमाया है
सब माया है

3. इक नाम तो बाक़ी रहता है मर जान नहीं
जब देख लिया इस सौदे में नुक़सान नहीं
तब शम्मा पे देने जान पतंगा आया है
सब माया है

4. मालूम हमें सब कैस मियाँ का क़िस्सा भी
सब एक-से हैं, ये राँझा भी ये इंशा भी
फ़रहाद भी जो इक नह्र-सी खोद के लाया है
सब माया है

5. क्यों दर्द के नामे लिखते-लिखते रात करो
जिस सात समंदर पार की नार की बात करो
उस नार से कोई एक ने धोखा खाया है ?
सब माया है

6. जिस गोरी पर हम एक ग़ज़ल हर शाम लिखें
तुम जानते हो हम क्योंकर उसका नाम लिखें
दिल उसकी चौखट चूम के वापस आया है
सब माया है

7. वो लड़की भी जो चाँदनगर की रानी थी
वो जिसकी अल्हड़ आँखों में हैरानी थी
आज उसने भी पैग़ाम यही भिजवाया है
सब माया है

8. जो लोग अभी तक नाम वफ़ा का लेते हैं
वो जान के धोखे खाते धोखे देते हैं
हाँ ठोंक-बजाकर हमने हुक्म लगाया है
सब माया है

9. जब देख लिया हर शख़्स यहाँ हरजाई है
इस शह्र से दूर इक कुटिया हमने बनाई है
और उस कुटिया के माथे पर लिखवाया है
सब माया है

- इब्ने इन्शा

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