सदमा तो है मुझे भी
सदमा तो है मुझे भी के तुझसे जुदा हूँ मैं,
लेकिन ये सोचता हूँ के अब तेरा क्या हूँ मै।
बिखरा पड़ा है तेरे घर में तेरा वजूद,
बेकार महफिलों में तुझे ढूँडता हूँ मैं।
ना जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम,
दुनिया समझ रही है के सब कुछ तेरा हूँ मैं।
ले मेरे तजुर्बों से सबक़ ऐ मेरे रक़ीब,
दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं।
- saifullah khan
लेकिन ये सोचता हूँ के अब तेरा क्या हूँ मै।
बिखरा पड़ा है तेरे घर में तेरा वजूद,
बेकार महफिलों में तुझे ढूँडता हूँ मैं।
ना जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम,
दुनिया समझ रही है के सब कुछ तेरा हूँ मैं।
ले मेरे तजुर्बों से सबक़ ऐ मेरे रक़ीब,
दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं।
- saifullah khan