तुम्हे हुस्न पे दस्तरस है (A complete version)
तुम्हे हुस्न पे दस्तरस है, मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत बड़ा जानते हो,
पर तुम यह तो बताओ उसकी आँखों के बारे में क्या जानते हो?
यह जुगराफिआ फ़लसफ़ा जानना अहम् है लेकिन,
पर यह बताओ क्या तुम उसके घर का पता जानते हो?
जो भी कहते हो उसके बारे में तुम सच कहते हो,
तुम यह बताओ तुम उस्सको कैसे जानते हो?
आँखों में बेरुखी, माथे पे शिकन, चेहरा बेज़ार,
क्या तुम इस उदासी की वजह जानते हो?
हर महफ़िल में बोल पड़ते हो बेवजह और बेबाक,
क्या तुम इस महफ़िल में अपनी जगह जानते हो?