ये तेरी खता नही

ये तेरी खता नही, के तू गुस्से मे आ गया,
पैसे का जोर है तेरे चहरे पे छा गया,

क्या मिला सिक्का उछाल कर तुझे,
तेरा सारा पेसा मेरे खिस्से मे आ गया,

यूं तो उदास है मुझसे रूठ कर तू,
मेने मनाना चाहा तो नखरे मे आ गया,

होती नही तो ना किया कर मुहब्बत,
बेवजह में यूँही जुस्से में आ गया 

-Saifullah Khan 'Khalid'

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