Jo teri Fikar Teri yaad me kharab nahi
जो तेरी फ़िकर तेरी याद मे खराब नहि,
वो जिन्दगी तो मोहब्बत मे कामियाब नही।
मे सोचता हू के तू क्यूँ नज़र नही आता,
मेरी निगाह नही या तेरी औकात नही।
अब तो आ भी जा के मैने मान लिया,
वफादारी की कोई तेरी जात नही।
सम्भलके दिल खुद को बेकरार न कर,
उस निगाह मे परदादारि की बात नही।
निगाह बर्क़ नही चेहरा आफताब नही,
उस हसीन को मुझे देखने की ताब नही।
वो जिन्दगी तो मोहब्बत मे कामियाब नही।
मे सोचता हू के तू क्यूँ नज़र नही आता,
मेरी निगाह नही या तेरी औकात नही।
अब तो आ भी जा के मैने मान लिया,
वफादारी की कोई तेरी जात नही।
सम्भलके दिल खुद को बेकरार न कर,
उस निगाह मे परदादारि की बात नही।
निगाह बर्क़ नही चेहरा आफताब नही,
उस हसीन को मुझे देखने की ताब नही।
Comments
Post a Comment