Konsa dukh hai mujhe

कोनसा दुख है मुझे तेरे लौट जाने का,
के मन्सबा बनाऊ दिल पे चोट खाने का।

उदास होगी तो होगी तेरी आंखे,
हमे नही शौक बेवजह आंसू बहाने का।

नही रहा वक्त रहूँ दुनिया मे अन्जाना,
सब जानते है पता मेरे ठिकाने का।

और तू पूछती है पता नही क्या मुझको,
जानता हूं मे राज़ सारे जमाने का।

-सैफुल्लाह खान 'खालिद'

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