Aandhi ek kashish hai
आंधी एक कशिश है, इल्म की ख्वाहिशो के आगे ।
वही तो ज़िंदगी है जो अपने ख्वाबो के लिये जागे ।।
अपने होंसलो को बुलन्द कर ले तदबीर से।
बना कुछ एसा तकदीर भी तुझसे कुछ मांगे ।।
ये मज्मुए गम ये बेचारापन ये आवारगी ।
आसमान भी झूक जाये तेरी तूफान के आगे ।।
इश्क़ व मुश्क की बात मुझसे ना कर ए साकी।
हम वो नहि परिंदे जो किसी दाने के लिये भागे।।
तुझे तो पता है 'खालिद' ज़िंदगी के बारे मे ।
हर मोड़ पे ये तुझको और कठिन सी लागे।।
-saifullah khan 'khalid'
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