Ek raat dil jalo ko Aish e visaal de (full ghazal)
एक रात दिलजलों को एश ए विसाल दे।
फिर चाहे तो आसमान जहन्नम में डाल दे।।
भीख नहीं मांगते तुझसे कुछ और।
बस इन्हें अपने महबूब का ख्याल दे।।
है जिसके जुल्फ हसीन जाल की तरह।
उलझने के लिए इनको वही जाल दे।।
– जलाल लखनवी
Comments
Post a Comment