Iraada chhodiye

इरादा छोड़ दो अपनी हदों से गुजर जाने का।
यह ज़माना है, किसी की नजर में नही आने का।।

कहां की दोस्ती कोनसा यार काहे की मुहब्बत।
यहाँ तो दुश्मन भी नही मिलता ठिकाने का।।

यह में था खुदको ले आया किनारे तक।
वरना लोगो ने कोशिश किया था डुबाने का।।

सैफुल्लाह खान 'खालिद'

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