खुदा की मर्ज़ी
जब कुछ लोगो ने बना ली हो मर्जी
तो वो कैसी खुदा की मर्जी।
जब फैसला खुद तय किया हो अपना,
तो वो कैसी खुदा की मर्जी।।
अकेलेपन का साथी ढूंढना था,
तन्हाई अपनी गुजारनी थी,
फिर इसे मुहब्बत का नाम देना,
तो वो कैसी खुदा की मर्जी।
जब खुद का दिल बहल गया हो,
मतलब अपना निकल गया हो,
फिर उसे वफ़ा का नाम देना,
तो वो कैसी खुदा की मर्जी।
- सैफुल्लाह खान 'खालिद'
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