मैं चाहता हूं
मैं चाहता हूं, परिंदे रिहा किए जाए।
मैं चाहता हूं, तेरे होठ से हसी निकले।।
मैं चाहता हूं, कोई मुझसे बात करता जाए।
मैं चाहता हूं, मेरे अंदर से खामोशी निकले।।
मैं चाहता हूं, तेरे इश्क में कुछ अजीब हो जाए।
मैं चाहता हूं, हर लिफाफे से खुशखबरी निकले।।
मैं चाहता हूं, तुझे मुझसे इश्क हो जाए।।
मैं चाहता हुं, चरागो से भी रोशनी निकले।।
- सैफुल्लाह खान 'खालिद'
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