Har tarah ke Jazbaat
हर तरह के जज़्बात का ऐलान है आंखे,
शबनम कभी शोला कभी तूफान है आंखे।
आंखे ही मिलाती है दुनिया में हमको,
अनजान है वो पहचान हैं आंखे।
लब कुछ भी कहे, हकीकत नही बदलती,
सच और झूठ की पहचान है आंखे।
और भी बहोत कुछ है दुनिया में मगर,
हमारे लिए इनाम है उनकी आंखे।
- साहिर लुधियानवी
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