Agar ijazat ho to

तुम्हे खोने का गम मना लूं, अगर इजाज़त हो तो?
में दिल किसी ओर से लगा लूं, अगर इजाज़त हो तो?

तुम्हारे बाद भला क्या है, वादा और मुहब्बत?
बस किसी को अपना बना लूं, अगर इजाज़त हो तो?

तुम्हारी जुदाई में है बहोत से अंधेरे साए
क्या में चराग जला लूं, अगर इजाज़त हो तो?

जुनून है वही, मैं वही, मगर शहेर भी है एक और बात,
किसी ओर शहर में घर बसा लूं, अगर इजाज़त हो तो?

किस्से है, ख्वाहिशें है मगर फिर भी है एक और बात,
ये ख्वाहिश किसी से पूरी करवा लूं, अगर इजाज़त हो तो?

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ु है, मगर फिर भी,
अपनी दास्तान बना लूं, अगर इजाज़त हो तो?

- सैफुल्लाह खान खालिद

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