Daastan
में बताऊं वो दास्तां मेरे दिल से क्यों वो उतर गया,
मेरे सामने ही बात की, मेरे सामने ही मुकर गया।
जब याद आते है, तो बस फुरसत के लम्हों में,
महफिल में आते ही वो बिल्कुल बदल गया।
उसके झूठ और सच का नहीं करना कोई हिसाब,
जिसका ईमान नही, ऐसे काफिर से दिल भर गया।
उसकी जिंदगी, उसको मुबारक,
मेरी दुनिया में वो कबका मर गया।
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