Dekh raha hai
हर शख्स है खुदा बनने में मसरूफ,
और खुदा ये तमाशा भी देख रहा है।
कल तक जिसको था रब का बेटा होने का गुमान,
आज वो खुदका पक्का ईमान समझ के देख रहा है।
ऐसे तो है उसको आज़ादी अपने फैसलों की,
पर झूठ को खुदा की मर्जी समझके देख रहा है।
भेजा था ईद की तरह जिंदगी में किसीके
और वो काफिर चांद समझके देख रहा है।
-सैफुल्लाह खान खालिद
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