Kesari
निगाह ए फख्र में शान ए सिकंदरी क्या है,
पैसों में जो बिका हो वो केसरी क्या है?
औरों से तुझको है उम्मीद, खुदा से ना-उम्मीदी,
अब मुझे बता तो सही, और काफिरी क्या है?
फकत निगाह से होता है फैसला मोहब्बत का,
जो मैं नहीं निगाह में तो मुझसे दिलबरी क्या है?
पसंद आ गई है, दुनिया को होशियारी मेरी,
वरना मेरे ये शेर क्या है, मेरी शायरी क्या है?
- सैफुल्लाह खान खालिद
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