Raat ko jagne wala

रात को जागने वाला हर इंसान आशिक नही होता,
वैसे भी सच और झूठ से कुछ हासिल नहीं होता।

अब जो बाते है, दिल में दबा देना अपने,
वैसे भी तुझसे बात करके कुछ ज़ाहिर नही होता।

टूटे हुए ख्वाब, सुनी राते, मायूस चेहरे, बेकार की बाते है सब,
जिस तरह की तू है, तेरा इन से कोई रिश्ता साबित नही होता।

अब ना कुछ सुनना है सुनाना है, समझना और समझाना है,
खुदा की मर्ज़ी है, उस रब से बड़ा कोई खालिक नही होता।

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