Rukhsati

रुखसत हुआ तो आंख मिला कर नही गया,
वो क्यों गया है, ये भी बता कर नही गया।

रहने दिया ना उसने किसी काम का मुझे,
जाते जाते मिट्टी में मुझे मिला कर नही गया।

यूं लग रहा है, जैसे में अपना लूंगा उसे फिर एक बार,
इसलिए जाते हुए प्यार की शमा बुझा कर नही गया।

राहत की सांस, चैन की नींद, खुशी के पल और मोहब्बत,
इन्हे छोड़ दिया और अपना घर भी बसा कर नही गया।

अब बस 'खालिद' के पीछे उसकी झूठी अफ़वा फेला रहा है,
में प्यार तो कर गया हूं पर तुझे अपना बना कर नही गया।

-सैफुल्लाह खान खालिद

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