Badal Gaye

चलो अब शब और रात बदल गए,
हमारे जो थे वो हालात बदल गए,
कभी दिल में बसाए थे, कभी नही
हमे सुनाए, वो जज़्बात बदल गए।

कुछ कहने की ख्वाहिश अब नही हमे
तुम्हे देखने की ख्वाहिश अब नही हमे।
कहा सुना किसी और के लिए रखो तुम
अब जिंदगी में तुम्हारे औकात बदल गए।

मुझे नही अब कोई रंज व गम तुम्हारे,
नही कुछ याद मोहब्बत के वादे तुम्हारे।
अब ढूंढिए अगर कहीं हो सके तो,
तुम्हारे सारे इमकानात बदल गए।

अब न करना कोई ख्वाहिश बरपा,
ये सब है तुम्हारा ही किया धरा वरना,
आज हो सकते हम भी साथ ईद पे,
पर आज फिर हमारे साथ बदल गए।

- सैफुल्लाह खान खालिद

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