Chal aa ek nazm kahu

चल आ एक नज़्म कहूं, जो लफ्ज़ कहूं वो हो जाए।
में आ कहूं तू आ जाए, आके मेरी बातो में खो जाए।

ये अश्क मुझसे जताए, फिर मेरे दिल में आके बस जाए।
मेरे कहने पे रूक जाए, मेरे कंधे पे रखके सर सो जाए।

दिल की बाते ज़ुबान से बताए, आंखो से मोहब्बत हो जाए।
खुशी की बात पे हस जाए, दुख आए तो बस रो जाए।

-सैफुल्लाह खान खालिद

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