Jaate jaate

दिल ख़ाली है तेरे शहर से जाते जाते,
साथ दिल होता तो उसको लोटाते जाते।

अब तो हर रास्ते का पत्थर पहचानता है,
कितना वक्त गुजारा है शहर में आते जाते।

कुछ करने की इज़ाजत होती तो भी क्या,
कौनसा हम तुम्हे अपना बनाते जाते।

शायद रोने का सलिका भी नही वरना,
मेरे आंसू तुझे अपना बनाते जाते।

हमसे पहले भी कईं मुसाफिर गुज़रे होंगे,
उनके बारे में भी तुम हमे बताते जाते।

- सैफुल्लाह खान खालिद

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