Woh chahta to
उदासियों का मौसम बदल भी सकता था,
वो चाहता तो मेरे साथ चल भी सकता था।
वो शख्स जिसे तूने छोड़ने में जल्दी की,
वो तेरे मिजाज में साथ ढल भी सकता था।
वो जल्दबाज़ खफा होके चल दिया, वरना,
मुश्किलों का हल निकल भी सकता था।
गुरूर ने हाथ उठाने नही दिया वरना,
दुआ से किस्मत बदल भी सकता था।
तमाम उम्र तेरा मुंतजिर रहा मगर 'खालिद'
में चाहता किसी और का बन भी सकता था।
Comments
Post a Comment