Jaana, Thoda aur sataana

अभी मत मान जाना,
जाना, थोड़ा और सताना
अभी मत मिल जाना,
जाना, थोड़ा और तरसाना।


एक पल मेरी ओर देखना,
मेरी आस जगाना,
फिर चेहरे पे शिकन लाना,
और लौट के जाना।
जाना, थोड़ा और सताना...


आंखो में नाराजगी लाना,
गुस्सा दिखाना,
चेहरे को थोड़ा तंग बनाना,
थोड़ा तड़पाना।
जाना, थोड़ा और सताना...


करना कोई झूठा बहाना,
बेवजह कहानी बनाना,
किसी से दिल को लगाना,
खुद को मजबूर बताना।
जाना, थोड़ा और सताना...


फिर रात को चुपके से आना,
दिल में समा जाना,
पुरानी सारी बाते भूल जाना,
खुदको मेरा बनाना।
जाना, थोड़ा और सताना...


-सैफुल्लाह खान खालिद

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