Wapas Aaye
जब कोई जाकर वापस आए,
रोए तड़पे या फिर पछताए,
में फिर उसको मिलता नहीं हु,
साथ दोबारा चलता नहीं हु।
गुम जाता हु, खो जाता हु,
में फिर पत्थर का हो जाता हु।
फिर आंसू भी असर नहीं करते,
चाहे वो आए रोते या बिलखते।
चाहे वो पूजने लगे नए सनम बुत खाने में,
या बना ले किसी को अपना ज़माने में।
क्योंकि उनको मुहब्बत में एतराज था,
झूठ बोलना, धोखा देना अंदाज़ था।
रोए तड़पे या फिर पछताए,
में फिर उसको मिलता नहीं हु,
साथ दोबारा चलता नहीं हु।
गुम जाता हु, खो जाता हु,
में फिर पत्थर का हो जाता हु।
फिर आंसू भी असर नहीं करते,
चाहे वो आए रोते या बिलखते।
चाहे वो पूजने लगे नए सनम बुत खाने में,
या बना ले किसी को अपना ज़माने में।
क्योंकि उनको मुहब्बत में एतराज था,
झूठ बोलना, धोखा देना अंदाज़ था।
Here's the couplet written in Urdu script:
جب کوئی جا کر واپس آئے،
روئے تڑپے یا پھر پچھتاے،
میں پھر اس کو ملتا نہیں ہوں،
ساتھ دوبارہ چلتا نہیں ہوں۔
گم جاتا ہوں، کھو جاتا ہوں،
میں پھر پتھر کا ہو جاتا ہوں۔
پھر آنسو بھی اثر نہیں کرتے،
چاہے وہ آئیں روتے یا بلکھتے۔
چاہے وہ پوجنے لگے نئے سنم بت خانے میں،
یا بنا لے کسی کو اپنا زمانے میں۔
کیونکہ ان کو محبت میں اعتراض تھا،
جھوٹ بولنا، دھوکہ دینا انداز تھا۔
Transliteration:
Jab koi ja kar wapis aaye,
Roye tarpay ya phir pachhtaye,
Main phir us ko milta nahi hoon,
Sath dobara chalta nahi hoon.
Gum jata hoon, kho jata hoon,
Main phir patthar ka ho jata hoon.
Phir aansu bhi asar nahi karte,
Chahe woh aayein rote ya bilkhte.
Chahe woh pujne lage naye sanam but khane mein,
Ya bana le kisi ko apna zamane mein.
Kyunkay unko mohabbat mein e'taraz tha,
Jhoot bolna, dhokha dena andaz tha.
-Saifullah Khan 'khalid'
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